चुनाव--एक पर्व

आख़िर ५ साल के बाद फिर जनता की बारी आ ही गई .और नेताओ का एक बार फिर याद आए जनता की याद
एक ऐसा पर्व जिस मैं सिर्फ़ जनता की ही बाते होती हैं यानि आज जनता आगे और नेता पीछे क्या चाहिये जनता को एक बार तो जनता बोल कर तो देखे लेकिन वादा सिर्फ़ वोट डालनें तक उसकेबाद आप (जनता )जाने और नेता चाले आपना कुर्सी सम्हाल नें चुनाव की घोषणा से लेकरचुनाव होने तक जनता ही बागवान हैं पर चुनाव के बाद नेता भाग मान और जनता बादमाश

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