गुरु हारे आख़िर ये होना था ?

८ जनवरी २००९ गुरूजी के लिए ये दिन याद रखना परेगा । ९००० वोट से हराना गुरूजी के लिए ये सबक हैं गुरूजी ही नही उन सभी विस्बिस्वस्निए लोगो जो आपने उप्पर हद जायदा विस्वास करते हैं आज जनता जागगई हैं उन्हें बाते नही विकास चाहिए .आख़िर किन कारणों से गुरु जी हारे उस पर मंथन होना चाहिये .लेकिन सायद ही ऐसा हो। जहा तक मुझे पता हैं झारखण्ड की विकास की गारी तं से गए हैं यह तो सिर्फ़ स्थान्तरण उद्योग फल फुल रहा हैं,.जो दलाली गिरी किया आज वह कहा हैं चाहे इस मैं मीडिया की भूमिका ही क्यो न हो .जिसको जहा मन किया उसने इस छोटे से बच्चे का शोसन किया .किसी ने इस के विकास बारे कभी नही सोचा .आखबर भी इस मैं क्यो पिच्चे रहते कोई मैंस लिया तो कोई बिजली बिल माफ़ कराया .और तों और किसी तो आपने चॅनल के लिए विज्ञापन तक बुक करा लिया जिसको जहा मिला वह वह लुटा .विकास के बारे मैं किसी ने नही सोचा .बाबूलाल आए मुंडा जी आए सोरेन साहब आए कोरा आए ० अंत हुआ सोरेन से.बाबूलाल के समय मैं रोड इतने आछे हो गए ते क्या कहा जो बिहार के बाद झारखण्ड प्रवेश करते ही लोग कहते की झारखण्ड आ गया हैं ,और आज भी लोग वही कहते हैं की झारखण्ड आ गया ?लेकिन दोनों का भाव आलग आलग हैं । समय बदल गया हैं और अब झारखण्ड जनता जाग रही हैं और उन का यही KATHAN हैं विकास नही तो वोट नही?और यदि समय रहते नही चेते तो वह दिन दूर नही सीएम हो या मंत्री ,या हो संसद यदि जल्द नही सुधरे तो जनता आभी वोट ही नही दे रही हैं उसके बदले कुछ और दे सकती हैं

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